Sunday, April 25, 2010

कौन कहता है चैक डिसऑनर होना अपराध है?

प्रश्न: क्या किसी चैक को डिसऑनर करा देना मात्र अपराध है?
उत्तर: नही, किसी चैक को डिसऑनर करा देने मात्र से कोई अपराध कारित नही होता है। नेगोशिएबल इंस्ट्र्यूमेण्ट एक्ट की धारा 138 के अंतर्गत चैक डिसऑनर से सम्बन्धित अपराध निम्न घटनाओं की पूरी श्रृंखला के पश्चात ही घटित होना माना जाएगा।
अ. किसी चैक का जारी किया जाना। ब. उस चैक को बैंक में जमा करवाया जाना। स. अदाकर्त्ता बैंक द्वारा चैक बिना भुगतान के लौटा दिया जाना। द. चैक के जारी कर्ता को चैक की राशि मांगने के सम्बन्ध में लिखित नोटिस देना। य. चैक जारीकर्ता द्वारा उपरोक्त नोटिस प्राप्त होने के 15 दिन के भीतर चैक राशि का भुगतान न किया जाना।
इस प्रकार जब चैक डिसऑनर कराने वाले व्यक्ति द्वारा उपरोक्त प्रकार से 15 के भीतर चैक राशि का भुगतान कर दिया जाता है तो चैक डिसऑनर अपराध किया नही माना जाएगा।
प्रश्न: चैक डिसऑनर से सम्बन्धित लिखित नोटिस जारी करने की समय सीमा क्या है?
उत्तर: व्यक्ति द्वारा बैंक से किसी चैक का बिना भुगतान हुए लौट आने की सूचना प्राप्त होने के 30 दिन के भीतर नोटिस जारी हो जाना आवश्यक है।
प्रश्न: क्या लिखित नोटिस जारी किया जाना मात्र पर्याप्त है?
उत्तर: अपने दावे को मजबूत बनाने के लिए चैक जारी कर्ता के पास नोटिस का पहूँचना आवश्यक है।
प्रश्न: चैक जारीकर्ता को चैक राशि भुगतान करने हेतु कितना समय दिया जाना आवश्यक है?
उत्तर: उपरोक्त नोटिस के माध्यम से 15 दिन का समय दिया जाना आवश्यक है।
प्रश्न: चैक डिसऑनर से सम्बन्धित शिकायत करने की समय सीमा क्या है?
उत्तर: उपरोक्त 15 दिन की अवधि समाप्त होने के अगले तीस दिन के भीतर शिकायत किया जाना आवश्यक है।
प्रश्न: चैक डिसऑनर के सम्बन्ध में शिकायत कहाँ की जाती है?
उत्तर: जहाँ चैक डिसऑनर हुआ हो उस क्षेत्र पर क्षेत्राधिकार रखने वाले न्यायिक मजिस्ट्रेट / मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष।
प्रश्न: चैक डिसऑनर के सम्बन्ध में शिकायत दर्ज कराने के लिए क्या कोई शुल्क भी निर्धारित है?
उत्तर: 1.25 रूपए की कॉर्ट फीस के अतिरिक्त कोई शुल्क निर्धारित नही है।
प्रश्न: क्या किसी चैक डिसऑनर के सम्बन्ध में आपराधिक शिकायत तथा चैक की राशि की वसूली के लिए सिविल वाद एक साथ दायर किए जा सकते हैं?
उत्तर: हाँ, नेगोशिएबल इंस्ट्र्यूमेण्ट एक्ट की धारा 138 के अंतर्गत आपराधिक शिकायत के साथ ही चैक राशि की वसूली के लिए सिविल वाद दायर किए जा सकते हैं।
प्रश्न: चैक डिसऑनर के अपराध के सम्बन्ध में दण्ड के क्या प्रावधान हैं?
उत्तर: अपराध कारित किया जाना सिद्ध होने पर अपराधी को निम्न प्रकार दण्डित किया जा सकता है – अ. दो वर्ष तक का कारावास। ब. चैक राशि के दुगुने तक का जुर्माना। स. उपरोक्त दोनों।
प्रश्न: क्या चैक डिसऑनर के केस में समझौता किया जा सकता है?
उत्तर: शिकायत कर्ता द्वारा शिकायत लम्बित रहने के दौरान किसी भी समय समझौता किया जा सकता है।
प्रश्न: चैक डिसऑनर से सम्बन्धित केस जमानतीय है या अजमानतीय?
उत्तर: जमानतीय।
प्रश्न: यदि चैक डिसऑनर का अपराध किसी प्राइवेट लिमिटेड या लिमिटेड कम्पनी द्वारा किया जाता है तो सजा का भागीदार कौन होगा?
उत्तर: कम्पनी द्वारा चैक डिसऑनर के अपराध की दशा में कम्पनी तथा अपराध घटित होने के समय कम्पनी के व्यावसायिक क्रिया कलापों के जिम्मेदार प्रत्येक व्यक्ति अपराध के लिए दोषी होंगे, सजा के भागीदार होंगे। इनके अतिरिक्त सेक्रेटरी की सहमति, लापरवाही अथवा भागीदारी होनी सिद्ध हो जाए तो ऐसे डायरेक्टर, मैनेजर, सेक्रेटरी को भी अपराध का दोषी मान कर सजा दी जा सकती है।
प्रश्न: यदि चैक डिसऑनर का अपराध किसी साझेदारी फर्म द्वारा किया जाता है तो सजा का भागीदार कौन होगा?
उत्तर: कम्पनी की तरह ही साझेदारी की स्थिति में भी साझेदारी व्यवसाय के संचालने के लिए जिम्मेदार व्यक्ति तथा किसी साझेदार की भागीदारी, लापरवाही अथवा सहमति सिद्ध हो जाने पर उस साझेदार को भी दण्डित किया जा सकता है।
प्रश्न: चैक डिसऑनर के अपराध में किसी व्यक्ति को दोषी सिद्ध करने के लिए क्या चैक पर अंकित सारी सूचनाएं उस व्यक्ति की स्वयं की हैंड राइटिंग में होना आवश्यक है?
उत्तर: नही, चैक डिसऑनर के अपराध में व्यक्ति के हस्ताक्षर का सिद्ध होना मात्र पर्याप्त है, अन्य सूचनाएं भली छपी हो अथवा किसी और की हैण्ड राइटिंग में हो।
प्रश्न: यदि किसी व्यक्ति द्वारा जारी किए गए एक से अधिक चैक डिसऑनर हो जाते हैं तो क्या प्रत्येक चैक के लिए अलग अलग शिकायत दर्ज कराना आवश्यक है?
उत्तर: नही, शिकायत कर्त्ता चाहे तो एक ही शिकायत में सारे चैकों का विवरण देकर जारी कर्त्ता के विरुद्ध शिकायत दर्ज करवा सकता है।
प्रश्न: यदि किसी व्यक्ति के साइन किए हुए खाली चेक गुम हो जाए तो उसे क्या करना चाहिए?
उत्तर: अन्य व्यक्ति इस तरह से खोए हुए चैकों का गलत उपयोग नही करे इसके लिए सावधानी के तौर पर अपने बैंक तथा नजदीकी पुलिस स्टेशन दोनों को चैक खो जाने की सूचना देनी चाहिए।
प्रश्न: यदि किसी चैक पर कोई व्यक्ति फर्जी साइन करके उसे डिसऑनर करवा दे तो क्या करना चाहिए?
उत्तर: इस तरह के चैक के सम्बन्ध में जब भी कोई लिखित नोटिस प्राप्त हो तो उसके जबाब में इस तथ्य को प्रकट करने के साथ ही निकट के पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करानी चाहिए।
प्रश्न: यदि चैक से भुगतान में गलती की जगह इलेक्ट्रोनिक फण्ड ट्रांसफर में त्रुटि होने से समय पर राशि न चुकाई जाती है तो क्या इसे चैक डिसऑनर माना जाएगा?
उत्तर: हाँ, इलेक्ट्रोनिक फण्ड ट्रांसफर में त्रुटि भी चैक डिसऑनर के समान ही मानी जाएगी।
प्रश्न: एक बार चैक डिसऑनर के पश्चात यदि निर्धारित समय में लिखित नोटिस नही दिया जाता है तो क्या दूसरी या तीसरी बार चैक डिसऑनर होने का नोटिस दिया जा सकता है?
उत्तर: हाँ, यदि चैक जारीकर्ता दुबारा चैक भुनाने का विश्वास दिला कर उसे दुबार बैंक में जमा कराने की प्रार्थना करता है और इस बार भी चैक डिसऑनर हो जाता है तो चैक की राशि की माँग करते हुए निर्धारित समय सीमा में लिखित नोटिस जारी किया जा सकता है।
प्रश्न: यदि किन्हीं दो पक्षों के विवाद को निपटाने के लिए ऑर्बिट्रेशन का अनुबंध किया हुआ हो तो भी चैक डिसऑनर के सम्बन्ध में केस डाला जा सकता है?
उत्तर: हाँ, ऑर्बिट्रेशन का अनुबंध चैक डिसऑनर से सम्बन्धित शिकायत दर्ज करवाने से नही रोकता है।
प्रश्न: यदि चैक डिसऑनर की आपराधिक शिकायत दर्ज कराने की समय सीमा शिकायत दर्ज कराने से पहले ही समाप्त हो जाए तो क्या उपाय है?
उत्तर: ऐसी स्थिति में चैक की राशि प्राप्त करने के लिए सिविल वाद दायर किया जा सकता है।

2 comments:

  1. yahi kisi ka amount bhara hua or signature kiya hua check kho jaye uske baad usneagar check book kho jane ki detail bank ko di h to bhi kya or koi dusra usko bank me laga kr usko bounce krwa skta h ?

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  2. अगर मैं किसी को दिए गए चेक को रद्द कर देता हूं, क्या वह इसके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई कर सकता है?

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