Tuesday, April 20, 2010

सूचना का अधिकार: अधिकारों की सूचना पाने का शक्तिशाली माध्यम

प्रश्न: पब्लिक ऑथॉरिटी किसे कहते हैं?
उत्तर: सूचना के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत सूचना किसी पब्लिक ऑथॉरिटी से ही मांगी जा सकती है। प्राइवेट व्यक्ति व संस्था को सूचना के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत सूचना देने के लिए बाध्य नही किया जा सकता। अत: सूचना के अधिकार का प्रयोग करने के लिए पब्लिक ऑथॉरिटी का आशय समझना आवश्यक है। पब्लिक ऑथॉरिटी से अभिप्राय किसी भी ऑथॉरिटी संस्था, निकाय से है जिसकी स्थापना या निर्माण 1. संविधान के प्रावधानों के अंतर्गत हुआ हो, जैसे मतदान आयोग, यू पी एस सी आदि 2. किसी केन्द्रीय या राज्य अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत हुआ हो जैसे बी एस एन एल, रेल्वे विभाग, पुलिस विभाग आदि 3. गैर सरकारी संस्थान जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से केन्द्र या राज्य सरकार द्वारा वित्त पोषित हो।
प्रश्न: सूचना से क्या अभिप्राय है?
उत्तर: सूचना के अंतर्गत किसी पब्लिक ऑथॉरिटी के पास उपलब्ध कोई भी रिकॉर्ड, दस्तावेज, मेमो, ई मेल, सलाह, प्रेस विज्ञप्ति, आदेश, एग्रीमेण्ट, रिपोर्ट, नमूने आदि चाहे वे इलेक्ट्रोनिक फॉर्म में ही आते हों आते हैं।
प्रश्न: सूचना के अधिकार से क्या अभिप्राय है?
उत्तर: सूचना के अधिकार के अंतर्गत किसी पब्लिक ऑथॉरिटी के पास उपलब्ध सूचना का निरीक्षण करना, सूचना की प्रतिलिपि प्राप्त करना, तथा किसी सामान के प्रामाणित नमूने प्राप्त करना शामिल हैं।
प्रश्न: सूचना के अधिकार का प्रयोग करने के लिए प्रार्थना पत्र किसे सम्बोधित करके लिखा जाना चाहिए?
उत्तर: सूचना प्राप्त करने के लिए प्रार्थना पत्र सम्बन्धित पब्लिक ऑथॉरिटी के पब्लिक इंफोर्मेशन ऑफिसर को सम्बोधित करके लिखा जाना चाहिए। प्रत्येक पब्लिक ऑथॉरिटी में पब्लिक इंफोर्मेशन ऑफिसर के पद पर नियुक्त व्यक्तियों के नाम व पते सार्वजनिक किए हुए रहते हैं जिन्हें आसानी से प्राप्त किया जा सकता है।
प्रश्न: यदि गलती से सूचना प्राप्त करने का प्रार्थना पत्र किसी अन्य पब्लिक इंफोर्मेशन ऑफिसर को लिख दिया हो तो क्या सूचना प्राप्त हो जाएगी?
उत्तर: प्रत्येक पब्लिक इंफोर्मेशन ऑफिसर का यह दायित्व है कि यदि किसी कारण से कोई सूचना प्राप्त करने का प्रार्थना पत्र जो कि अन्य पब्लिक इंफोर्मेशन ऑफिसर को लिखा जाना था, उसे सम्बोधित कर दिया गया हो तो तुरंत ही उस प्रार्थना पत्र को प्रेषित करके सूचना मांगने वाले व्यक्ति को इस बारे में सूचित करे।
प्रश्न: सूचना प्राप्त करने के प्रार्थना पत्र में क्या क्या लिखा होना चाहिए?
उत्तर: यदि सूचना, सूचना के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत मांगी गई है तो 1. मांगी गई सूचना का विवरण, 2. सूचना के लिए चुकाए गए शुल्क का विवरण, 3. पता जहाँ सूचना पहुँचानी है।
प्रश्न: क्या सूचना ई मेल के जरिए भी माँगी जा सकती है?
उत्तर: हाँ । सूचना ई मेल के जरिये मांगी जा सकती है परंतु सात दिन के भीतर भीतर सूचना के लिए निर्धारित शुल्क जमा करा दिया जाना चाहिए।
प्रश्न: क्या कोई सूचना माँगते समय प्रार्थना पत्र में सूचना माँगे जाने का कारण दिया जाना आवश्यक है?

उत्तर: नही। सूचना मांगने के लिए सूचना का कारण बताया जाना आवश्यक नही है।
प्रश्न: मांगी गई सूचना देने के लिए पब्लिक इंफोर्मेशन ऑफिसर को कितना समय दिया जाता है?
उत्तर: मांगी गई सूचना पब्लिक इंफोर्मेशन ऑफिसर द्वारा तीस दिन के भीतर उपलब्ध कराई जानी आवश्यक है।
प्रश्न: यदि मांगी गई सूचना किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता या जीवन से सम्बन्धित है तो भी प्रार्थी को 30 दिन तक इंतजार करना होगा?
उत्तर: नही, ऐसी स्थिति में सूचना दिए जाने की समय सीमा दो दिन है यदि ऐसा तथ्य सूचना के प्रार्थना पत्र में अंकित कर दिया गया हो।
प्रश्न: यदि सूचना तय समय सीमा में नही दी जाती है तो इसका क्या परिणाम होगा?
उत्तर: तय समय सीमा में सूचना न दिया जाना सूचना दिए जाने से इंकार करने के समान माना जाएगा।
प्रश्न: कौन कौन सी पब्लिक ऑथॉरिटी को सूचना देने के लिए बाध्य नही किया गया है?
उत्तर: आई बी, डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलीजेण्स, नार्कोटिक कण्ट्रोल ब्यूरो, बी एस एफ, सी आर पी एफ, सी आई डी जैसी केन्द्रीय सुरक्षा एजेंसी तथा राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित सुरक्षा एवं जाँच एजेंसी से सूचना के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत सूचना नही मांगी जा सकती है। परंतु यदि मांगी गई सूचना का सम्बन्ध उपरोक्त पब्लिक ऑथॉरिटी में व्याप्त भ्रष्टाचार अथवा मानवीय अधिकारों के हनन से है तो ऑथॉरिटी सूचना देने के लिए बाध्य है।
प्रश्न: क्या कुछ सूचनाएं ऐसी भी है जिन्हें देने से सभी पब्लिक ऑथॉरिटी मना कर सकती है?
उत्तर: हाँ, सूचना के अधिकार के अंतर्गत निम्न प्रकार की सूचनाएं न दिए जाने के लिए सुरक्षित है तथा पब्लिक इंफोर्मेशन ऑफिसर ये सूचनाएं देने से इंकार कर सकता है। 1. जिन सूचनाओं के दिए जाने से भारत की सम्प्रभुता, एकता व सुरक्षा प्रभावित होती है अथवा अन्य देशों के साथ सम्बन्धों पर प्रभाव पड़ता हो। 2. सूचनाएं जिनका दिया जाना कॉर्ट के आदेश से प्रतिबन्धित किया हुआ हो। 3. जिन सूचनाओं के दिए जाने से संसद अथवा राज्यों के विधायकों के अधिकारों का हनन होता हो। 4. जिन सूचनाओं के दिए जाने से किसी की वैधिक सम्पत्ति के अधिकारों पर विपरीत प्रभाव पड़ता हो। 5. सूचनाएं जो पूर्णत: व्यक्तिगत हो अथवा जिनके दिए जाने से किसी पुलिस इंवेस्टीगेशन में बाधा उत्पन्न हो सकती हो आदि सूचनाएं ऐसी है जिन्हें देने से पब्लिक ऑथॉरिटी मना कर सकती है।
प्रश्न: सूचना दिए जाने के बदले पब्लिक ऑथॉरिटी क्या किसी शुल्क की मांग कर सकता है?
उत्तर: गरीबी रेखा के नीचे जीवन व्यतीत करने वाले व्यक्तियों द्वारा सूचना मांगने पर या तय समय सीमा से अधिक समय लगा कर सूचना दिए जाने की स्थिति, इन दो परिस्थितियों को छोड़कर अन्य स्थितियों में नाम मात्र का शुल्क वसूल किया जाता है।
प्रश्न: सूचना के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत किन परिस्थितियों में तथा किस तरह से पब्लिक इंफोर्मेशन ऑफिसर को दण्डित किया जा सकता है?
उत्तर: केन्द्र अथवा राज्य इंफोर्मेशन आयोग द्वारा निम्न परिस्थितियों में पब्लिक इंफोर्मेशन ऑफिसर को प्रतिदिन 250 रूपये के हिसाब से 25000 रूपये अधिकतम तक दण्डित किया जा सकता है- 1. सूचना मांगे जाने का प्रार्थना पत्र स्वीकार न किया जाने पर, 2. बिना समुचित कारण के सूचना दिए जाने में विलम्ब करने पर, 3. दुर्भावना वश सूचना दिए जाने से इंकार करने पर, 4. जान बूझकर गलत, अपूर्ण अथवा भ्रमित करने वाली सूचना देने पर, 5. मांगी गई सूचना के नष्ट कर देने पर, 6. सूचना के दिए जाने में किसी भी तरह से बाधा उत्पन्न करने पर उपरोक्त प्रकार से दण्डित किए जाने के अतिरिक्त सम्बन्धित सूचना आयोग द्वारा पब्लिक इंफोर्मेशन ऑफिसर के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही भी की जा सकती है।
प्रश्न: पब्लिक इंफोर्मेशन के आदेशों / निर्णय के विरुद्ध अपील के क्या प्रावधान हैं? (समय सीमा व स्थान)
उत्तर: पब्लिक इंफोर्मेशन ऑफिसर के आदेशों / निर्णय के विरुद्ध अपील के निम्न प्रावधान हैं – प्रथम अपील आदेश के प्राप्त होने अथवा तय समय सीमा के समाप्त होने के तीस दिन के भीतर सम्बन्धित पब्लिक ऑथॉरिटी में पब्लिक इंफोर्मेशन ऑफिसर से सीनियर ऑफिसर के पास और द्वितीय अपील प्रथम अपील का आदेश प्राप्त होने अथवा अपील निस्तारण के लिए निर्धारित समय सीमा के व्यतीत हो जाने के नब्बे दिन के भीतर यथा स्थिति, केन्द्रीय अथवा राज्य सूचना आयोग के पास।
प्रश्न: पब्लिक इंफोर्मेशन ऑफिसर द्वारा दण्ड स्वरूप चुकाई गई राशि किसे प्राप्त होगी?
उत्तर: पब्लिक इंफोर्मेशन ऑफिसर द्वारा दण्ड स्वरूप चुकाई गई राशि को सरकारी खजाने में जमा करा दिया जाएगा।

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