Wednesday, April 21, 2010

आयकर : काश! देश का हर नागरिक भर पाता।

प्रश्न: पेन कार्ड क्या होता है?
उत्तर: पेन का पूरा नाम परमानेण्ट ऍकाउण्ट नम्बर होता है। पेन कार्ड आयकर विभाग द्वारा जारी किया गया एक कार्ड होता है जिस पर सम्बन्धित व्यक्ति जिसके लिए इसे जारी किया गया हो की फोटो, उसका नाम, पिता का नाम, जन्मतिथि, हस्ताक्षर तथा उसे जारी किए गए परमानेण्ट ऍकाउण्ट नम्बर अंकित होते हैं।
प्रश्न: परमानेण्ट ऍकाउण्ट नम्बर का उद्देश्य क्या होता है?
उत्तर: परमानेण्ट ऍकाउण्ट नम्बर के माध्यम से आयकर विभाग किसी व्यक्ति के द्वारा किए जाने वाले बड़े आर्थिक व्यवहारों पर निगरानी रखी जा सकती है।
प्रश्न: परमानेण्ट ऍकाउण्ट नम्बर तथा पेन कार्ड प्राप्त करने के क्या फायदे हैं?
उत्तर: पेन कार्ड को सभी सरकारी तथा गैर सरकारी कार्यालयों में पहचान पत्र के रूप में स्वीकार किया जाता है। इसके अतिरिक्त आयकर विभाग ने वर्तमान में विदेश यात्रा, अचल सम्पत्ति के खरीदने के समय, बैंक अथवा वित्तीय संस्थानों से ऋण प्राप्त करने में, शेयर के क्रय, विक्रय के समय व्यक्ति के (अथवा संस्था) परमानेण्ट ऍकाउण्ट नम्बर का उल्लेख करना अनिवार्य कर दिया है।
प्रश्न: आयकर क्या है?
उत्तर: यह केन्द्रीय सरकार द्वारा किसी व्यक्ति की कुल आय पर वार्षिक आधार पर लगाया जाने वाला कर है।
प्रश्न: आयकर रिटर्न क्या है?
उत्तर: आयकर रिटर्न किसी व्यक्ति द्वारा वर्ष भर प्राप्त की गई कुल आय, कुल आय में मिली छूट, कुल आयकर, उसके द्वारा जमा अग्रिम कर, कर में से प्राप्त छूट तथा कुल देय कर अथवा प्राप्त कर की गणना होती है। जिन व्यक्तियों की वर्ष भर कुल प्राप्त आय कर योग्य न्यूनतम आय के बराबर या से उससे अधिक होती है उन्हें अपनी आयकर रिटर्न वार्षिक आधार पर सम्बद्ध आयकर विभाग में जमा करानी होती है।
प्रश्न: आयकर रिटर्न में कुल आय को किस प्रकार विभाजित किया जाता है?
उत्तर: व्यक्ति अथवा संस्था का दायित्व है कि वर्ष पर्यंत प्राप्त आय निम्न 5 भागों में विभाजित करके आयकर रिटर्न में दर्शित करे। 1. वेतन से प्राप्त आय, 2. मकान सम्पत्ति से प्राप्त आय, 3. व्यवसाय अथवा पेशे से प्राप्त आय, 4. पूँजी लाभ, 5. अन्य साधनों से प्राप्त आय।
प्रश्न: वित्तीय वर्ष (फाइनेंशियल ईयर) किसे कहते हैं?
उत्तर: एक अप्रेल से आरम्भ हो कर 31 मार्च को समाप्त होने वाली एक वर्ष की अवधि को वित्तीय वर्ष (फाइनेंशियल ईयर) कहते हैं।
प्रश्न: प्रीवियस ईयर और ऍसेसमेण्ट ईयर में क्या अंतर होता है?
उत्तर: किसी एक वित्तीय वर्ष (फाइनेंशियल ईयर) में प्राप्त आय के ऊपर आयकर का भुगतान तथा उससे सम्बन्धित आयकर रिटर्न को ठीक अगले वित्तीय वर्ष (फाइनेंशियल ईयर) में जमा करवाना होता है। जिस वित्तीय वर्ष (फाइनेंशियल ईयर) की कुल आय पर कर का भुगतान तथा उससे सम्बन्धित आयकर रिटर्न फाइल की जानी होती है उसे प्रीवियस ईयर कहते हैं तथा जिस वित्तीय वर्ष (फाइनेंशियल ईयर) में आयकर का भुगतान तथा आयकर रिटर्न फाइल करनी होती है उसे ऍसेसमेण्ट ईयर कहते हैं। उदाहरण के लिए -
1 अप्रेल, 2009 से आरम्भ हो कर 31 मार्च, 2010 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष (फाइनेंशियल ईयर) में प्राप्त आय के लिए प्रीवियस ईयर 1 अप्रेल, 2009 से आरम्भ हो कर 31 मार्च, 2010 (2009-10) होगा। तथा ऍसेसमेण्ट ईयर 1 अप्रेल, 2010 से आरम्भ हो कर 31 मार्च, 2011 (2010-11) होगा।
प्रश्न: क्या पेन कार्ड प्राप्त होते ही आयकर रिटर्न फाइल करना अनिवार्य हो जाता है?
उत्तर: नही, आयकर का भुगतान करना अथवा आयकर रिटर्न भरने की जिम्मेदारी तभी होगी जब वर्ष पर्यंत कुल आय कर योग्य आय सीमा में होती है। मात्र पेन कार्ड प्राप्त करने से आयकर रिटर्न फाइल करने की जिम्मेदारी नही बन जाती है।
प्रश्न: यदि कर योग्य आय होने पर भी कोई व्यक्ति आयकर का भुगतान नही करता है तो क्या आयकर विभाग इस बात का पता लगा सकता है?
उत्तर: जब भी कोई व्यक्ति बड़ी राशि में लेन देन करता है तो उसे अपने परमानेण्ट ऍकाउण्ट नम्बर का उल्लेख करना होता है। आयकर विभाग किसी भी परमानेण्ट ऍकाउण्ट नम्बर से किए जाने वाले सारे लेन देन का पता लगा कर उससे सम्बन्धित व्यक्ति की कुल आय का अनुमान लगा सकता है।
प्रश्न: अवयस्क की आय पर आयकर की गणना कैसे की जाती है?
उत्तर: निम्न अपवादों को छोड़कर अवयस्क की आय को उसके माता / पिता की आय में मिला कर उस पर आयकर की गणना करते हैं – 1. विकलांग अवयस्क, 2. यदि आय अवयस्क के शारीरिक श्रम, विशेष ज्ञान अथवा कुशलता के कारण प्राप्त हो रही हो।
प्रश्न: किसी पार्टनरशिप फर्म के पार्टनर की क्या अलग से आयकर रिटर्न फाइल करनी होती है?
उत्तर: आयकर के उद्देश्य से पार्टनरशिप फर्म तथा उसके पार्टनर को अलग अलग माना जाता है अत: किसी फर्म के पार्टनर की व्यक्तिगत रूप से प्राप्त कुल आय यदि कर योग्य आय तक पहूँच चाती है तो उसे अपनी अलग आयकर रिटर्न फाइल करनी होती है।
प्रश्न: यदि किसी वर्ष आय के स्थान पर हानि होती है तो भी इंकम टैक्स रिटर्न फाइल करना आवश्यक है?
उत्तर: यदि किसी वर्ष व्यवसाय में लाभ की जगह हानि होती है तो उस हानि को अन्य आय से कम किया जा सकता है तथा आवश्यकता पड़ने पर अगले वर्ष की आय से भी कम की जा सकती है यह सब करने के लिए आयकर रिटर्न का फाइल किया जाना आवश्यक होता है।

प्रश्न: व्हाइट इंकम क्या होती है?
उत्तर: व्यक्ति द्वारा अपने जीवन काल में इकट्ठी की गई कुल आय जिस पर सम्बन्धित वर्ष में आयकर का भुगतान किया जाता रहा हो इस प्रकार की आय को व्हाइट इंकम कहते हैं।
प्रश्न: यदि कोई व्यक्ति वर्ष में अपनी कुल आय 2,00,000 रूपये पर आयकर का भुगतान करता है तो उसमें से व्हाइट मनी क्या होगी?
उत्तर: कुल आय 200,000 रूपये व्हाइट मनी होगी। परंतु इसमें से उसके स्वयं व उस पर आश्रित व्यक्तियों को वर्ष पर्यंत खाने, रहने, कपड़ों व अन्य व्यक्तिगत खर्चों के लिए आवश्यक राशि कम करके शेष बचतें इकठ्ठी हों तो इस प्रकार का पैसा व्हाइट मनी कहलाता है।
प्रश्न: यदि गलती से कोई आय, आयकर रिटर्न में दिखाने से रह गई हो तो क्या करना चाहिए?
उत्तर: ऐसी स्थिति में नियत तिथि से पहले रिवाइज आयकर रिटर्न फाइल की जा सकती है। रिवाइज आयकर रिटर्न में अन्य आय जो मुख्य रिटर्न में दिखाई जा चुकी है के अतिरिक्त गलती से दिखाने से रह गई आय भी दिखा दी जाती है।
प्रश्न: आयकर अथवा आयकर रिटर्न फाइल करने के लिए क्या परमानेण्ट ऍकाउण्ट नम्बर का होना आवश्यक है?
उत्तर: हाँ, आयकर अथवा आयकर रिटर्न फाइल करने के लिए परमानेण्ट ऍकाउण्ट नम्बर का होना आवश्यक है।
प्रश्न: क्या पैन कार्ड पर अंकित सूचनाओं में गलती हो जाने अथवा परिवर्तित हो जाने पर नया पैन कार्ड प्राप्त किया जा सकता है?
उत्तर: हाँ, निर्धारित प्रार्थना पत्र तथा शुल्क के साथ आवश्यक प्रमाण के आधार पर पैन कार्ड पर अंकित सूचनाओं को बदलवाकर नया पैन कार्ड प्राप्त किया जा सकता है।
प्रश्न: क्या कोई व्यक्ति एक से अधिक परमानेण्ट ऍकाउण्ट नम्बर रख सकता है?
उत्तर: नही, एक से अधिक परमानेण्ट ऍकाउण्ट नम्बर का उपयोग करना गैर कानूनी है तथा ऐसा करने पर 10,000 रूपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
प्रश्न: मुझे किसी जगह से पहले से ही आयकर काट कर आय के रूप में भुगतान प्राप्त हुआ है परंतु इस भुगतान को शामिल करके भी मेरी वर्ष पर्यंत कुल आय कर योग्य आय से कम है। क्या मैं इस तरह से काटे गए आयकर को वापस प्राप्त कर सकता हूँ?
उत्तर: हाँ, इस तरह से काटा गया आयकर प्राप्त (रिफण्ड) करने के लिए अपनी वर्ष पर्यंत आय दिखाते हुए आयकर रिटर्न फाइल करनी होगी।
प्रश्न: यदि नियत तिथि पर आयकर रिटर्न फाइल नही की जाती है तो क्या दायित्व बनता है?
उत्तर: यदि कर योग्य आय होने पर भी कोई व्यक्ति नियत तिथि पर आयकर रिटर्न फाइल करने पर चूक करता है तो उस पर 5 हजार रूपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
प्रश्न: स्क्रूटनी में केस आना किसे कहते हैं?
उत्तर: आयकर विभाग हर साल जमा की गई कुल आयकर रिटर्नों में से कुछ रिटर्नों की गहनता से जाँच करता है। इन रिटर्नों से सम्बन्धित व्यक्तियों को अपनी आय से सम्बन्धित सभी दस्तावेज आयकर अधिकारी के समक्ष पेश करने होते हैं। पूरी जाँच करने पर यदि आयकर रिटर्न में कोई त्रुटि पाई जाती है तो उस व्यक्ति को आयकर अधिकारी द्वारा निर्धारित कर राशि का भुगतान करना पड़ सकता है। इस सारी प्रक्रिया को ही स्क्रूटनी में केस आना कहते हैं।

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