Thursday, April 22, 2010

जन्म, विवाह और मृत्यु पञ्जीयन अब अनिवार्य हो गए हैं

प्रश्न: जन्म प्रमाण पत्र क्या होता है?
उत्तर: किसी व्यक्ति के जन्म के पञ्जीकरण के उपरांत सरकार द्वारा जारी किया गया प्रमाण पत्र जन्म प्रमाण पत्र कहलाता है। सभी सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों द्वारा जन्म प्रमाण पत्र को सम्बंधित व्यक्ति की जन्म तिथि के प्रमाण पत्र के रूप में स्वीकार किया जाता है।
प्रश्न: जन्म प्रमाण पत्र बनवाने से क्या लाभ है?
उत्तर: जन्म प्रमाण पत्र सम्बन्धित व्यक्ति के जन्म तथा उसकी जन्म तिथि के साथ उस पर अंकित अन्य तथ्यों के प्रमाण के रूप में प्रयुक्त होता है। मतदाता पहचान पत्र, विद्यालय में प्रवेश की आयु, ड्राइविंग लाइसेंस, सरकारी नौकरियाँ, पूर्वजों की सम्पत्तियाँ विरासत में प्राप्त करने, अन्य पहचान पत्र बनवाने तथा शादी के प्रयोजन के लिए आयु तथा पहचान का निर्धारण करने में जन्म प्रमाण पत्र का उपयोग किया जाता है।
प्रश्न: किसी व्यक्ति के जन्म की सूचना किसके द्वारा रजिस्ट्रार को दी जानी चाहिए?
उत्तर: निम्न लिखित व्यक्ति अपने आस पास हुए किसी व्यक्ति के जन्म की सूचना जन्म मृत्यु पञ्जीकरण को देने के लिए उत्तरदायी है –
1. निवास स्थान (घर) पर हुए जन्म के सम्बन्ध में घर के मुखिया द्वारा तथा उसकी अनुपस्थिति जन्म के समय घर में उपस्थित सबसे बड़े वयस्क पुरुष। 2. चिकित्सालय में हुए जन्म के सम्बन्ध में उस चिकित्सालय के प्रबन्ध चिकित्सा अधिकारी। 3. जेल के जन्म के सम्बन्ध में उस जेल का प्रबन्धक। 4. छात्रावास, धर्मशाला, आदि में हुए जन्म के सम्बन्ध में इनके प्रबन्धक। 5. नवजात शिशु के सार्वजनिक स्थान पर परित्यक्त अवस्था में मिलने पर गाँव का मुखिया अथवा उस क्षेत्र के पुलिस थाने का इंचार्ज। 6. चलते हुए वाहन में जन्म के सम्बन्ध में उस वाहन के इंचार्ज।
प्रश्न: जन्म का पञ्जीयन करवाया जाना होता है?
उत्तर: जन्म का पंजीकरण सम्बन्धित गाँव, कस्बे, या जिले पर क्षेत्राधिकार रखने वाले जन्म मृत्यु पंजीयक के पास करवाना होता है।
प्रश्न: क्या जन्म का पंजीकरण कराना अनिवार्य है?
उत्तर: हाँ, भारत में प्रत्येक जन्म का पंजीकरण जन्म के 21 दिनों के अन्दर करवाना कानूनन अनिवार्य है।
प्रश्न: यदि कोई व्यक्ति किसी जन्म के पंजीकरण के लिए उत्तरदायी होते हुए भी ऐसा नही करता है तो क्या पेनल्टी / जुर्माना लगाया जा सकता है?
उत्तर: ऐसी दशा में दोषी व्यक्ति पर पचास रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
प्रश्न: शादी प्रमाण पत्र क्या होता है?
उत्तर: जन्म की तरह ही शादी प्रमाण पत्र शादी के पंजीयन का प्रमाण है।
प्रश्न: शादी का पंजीकरण करवाने का क्या उद्देश्य होता है?
उत्तर: शादी के पश्चात लड़की द्वारा अपने नाम में परिवर्तन करवाने, राशन कार्ड में नाम दर्ज करवाने, तथा वैवाहिक विवादों में शादी के तथ्य को प्रमाणित करने के लिए शादी प्रमाण पत्र की आवश्यकता होती है।
प्रश्न: क्या किसी हिन्दू विवाह का पंजीकरण न करवाने पर विवाह की वैधता प्रभावित होती है?
उत्तर: नही, हिन्दू विवाह का पंजीकरण न करवाने से भी विवाह कानूनन सही होता है तथा उसकी वैधता पर कोई फर्क नही पड़ता है।
प्रश्न: शादी के पंजीकरण का आवेदन कहाँ करना होता है?
उत्तर: शादी के पंजीकरण हेतु आवेदन निम्न में से किसी क्षेत्र पर क्षेत्राधिकार रखने वाले विवाह पंजीयक के पास करवाना चाहिए – जहाँ पर विवाह सम्पन्न हुआ हो। 2. जहाँ पर विवाह का कोई पक्षकार विवाह के ठीक छ: माह पूर्व तक निवास कर रहा हो।
प्रश्न: क्या हिन्दू विवाह का पंजीयन अनिवार्य है?
उत्तर: हिन्दू विवाह के पंजीयन करवाने की अनिवार्यता सम्बन्धित राज्य सरकार पर निर्भर करती है। कुछ राज्यों में हिन्दू विवाह का पंजीयन अनिवार्य है जब कि अन्य राज्यों में इसकी अनिवार्यता नही है।
प्रश्न: हिन्दू विवाह के पंजीयन की अनिवार्यता होते हुए भी किसी राज्य में पंजीयन नही करवाया जाए तो कितना जुर्माना लगाया जा सकता है?
उत्तर: पच्चीस रूपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
प्रश्न: मृत्यु प्रमाण पत्र क्या होता है?
उत्तर: किसी व्यक्ति की मृत्यु के पंजीकरण के उपरांत मृतक के निकटतम रिश्तेदार को सरकार द्वारा (मृत्यु पंजीयक द्वारा) जारी किया गया प्रमाण पत्र मृत्यु प्रमाण पत्र कहलाता है। मृतु प्रमाण पत्र पर सम्बन्धित व्यक्ति की मृत्यु की तारीख, मृत्यु का कारण आदि अंकित रहता है।
प्रश्न: मृत्यु पंजीयन के क्या लाभ है?
उत्तर: मृत्यु प्रमाण पत्र को किसी व्यक्ति की मृत्यु के प्रमाण के रूप में स्वीकार किया जाता है। मृतक की बीमा की राशि, मृतक के द्वारा अर्जित सम्पत्ति को उसके उत्तराधिकारियोँ में बांटने आदि उद्देश्यों में मृत्यु प्रमाण पत्र आवश्यक है।
प्रश्न: किसी व्यक्ति की मृत्यु की सूचना किसके द्वारा मृत्यु पंजीयक को दी जानी चाहिए?
उत्तर: किसी व्यक्ति की मृत्यु की सूचना पंजीयक को देने के लिए उत्तरदायी व्यक्ति का निर्धारण जन्म की स्थिति में उत्तरदायी व्यक्ति की तरह होता है अर्थात् परिस्थितिनुसार घर का मुखिया, जेल प्रबन्धक, चिकित्सालय प्रबन्धक, वाहन का इंचार्ज आदि व्यक्ति।
प्रश्न: क्या मृत्यु के पंजीकरण करवाना आवश्यक होता है?
उत्तर: हाँ, जन्म की तरह ही भारत में मृत्यु का पंजीकरण मृत्यु के 21 दिन के भीतर करवाया जाना आवश्यक होता है।
प्रश्न: मृत्यु पंजीकरण न करवाने के क्या परिणाम होते हैं?
उत्तर: किसी मृत्यु के पंजीकरण के लिए सूचना देने के लिए उत्तरदायी व्यक्ति द्वारा यदि पंजीयक को मृत्यु की सूचना नही दी जाती है तो उस व्यक्ति पर पचास रूपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
प्रश्न: मृत्यु के पंजीकरण की क्या प्रक्रिया होती है?
उत्तर: सम्बन्धित गाँव, कस्बे या जिले के मृत्यु पंजीयक को निर्धारित प्रारूप में मृत्यु की सूचना दिए जाने के उपरांत पंजीयक द्वारा आवश्यक छानबीन की जाती है। मृत्यु की सूचना के बारे में संतुष्ट होने पर पंजीयक मृत्यु का समुचित पंजीकरण कर लेता है।
प्रश्न: मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के एवज में क्या मृत्यु पंजीयक द्वारा कोई शुल्क भी वसूल किया जाता है?
उत्तर: जो व्यक्ति मृत्यु की सूचना पंजीयक को देता है मृत्यु के पंजीकरण के उपरांत मृत्यु प्रमाण पत्र की एक प्रति उसे नि:शुल्क जारी की जाती है।

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