Tuesday, May 4, 2010

बच्चों को अनिवार्य एवं मुफ्त शिक्षा

प्रश्न: बच्चों को अनिवार्य एवं मुफ्त शिक्षा के सम्बन्ध में क्या अधिकार प्राप्त है?

उत्तर: बच्चों को अनिवार्य एवं मुफ्त शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के लागू होने के पश्चात देश के प्रत्येक छ: से चौदह वर्ष तक के बच्चे को अपने पड़ोस के स्कूल में मुफ्त प्रारम्भिक शिक्षा पाने का अधिकार है। अर्थात् वर्तमान में चौदह वर्ष तक के किसी भी बच्चे को प्रारम्भिक शिक्षा से केवल इस कारण वंचित नही किया जा सकता क्यों कि उसके पास शिक्षा पर खर्च करने के लिए पैसे नही है।

प्रश्न: प्रारम्भिक शिक्षा का क्या अर्थ है?

उत्तर: पहली से लेकर आठवीं कक्षा तक की शिक्षा को प्रारम्भिक शिक्षा कहते हैं।

प्रश्न: यदि किसी बच्चे की आयु छ: वर्ष से अधिक की है लेकिन चौदह वर्ष से कम है तो उसके द्वारा मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा के अधिकार का प्रयोग किस प्रकार से किया जा सकेगा?

उत्तर: ऐसे बच्चे को अपनी आयु के अनुरूप कक्षा में प्रवेश प्राप्त करने का अधिकार होगा तथा साथ ही विद्यालय पर ही यह जिम्मेदारी डाली गई है कि ऐसे विद्यार्थी का शैक्षणिक स्तर उसकी कक्षा के अन्य विद्यार्थियों के समान लाने के लिए उसको अलग से विशेष शिक्षण की व्यवस्था करे।

प्रश्न: मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा प्राप्त करने के लिए बच्चों की आयु का निर्धारण किस प्रकार से किया जाएगा?

उत्तर: आयु का निर्धारण जन्म, मृत्यु एवं विवाह के पंजीकरण अधिनियम के अंतर्गत जारी किए गए जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर किया जाएगा। जन्म प्रमाण पत्र के अभाव में राज्य सरकार द्वारा मान्य अन्य किसी दस्तावेज के आधार पर आयु का निर्धारण किया जा सकेगा परंतु किसी भी स्थिति में आयु के प्रमाण के अभाव में किसी भी विद्यालय में प्रवेश से रोका नही जा सकेगा।

प्रश्न: प्रवेश के समय क्या बच्चों के माता पिता को चन्दे या अन्य किसी रूप में फीस जमा करने को कहा जा सकता है?

उत्तर: नही, प्रारम्भिक शिक्षा के मुफ्त व अनिवार्य होने का अधिकार विद्यालय को किसी भी अर्थात् चन्दे या फीस के रूप में बच्चे के माता पिता से धन उगाहना रोकता है। इसकी पूर्ति राज्य सरकार द्वार की जाएगी, राज्य सरकार प्रति विद्यार्थी जो मासिक लागत स्वयं निर्धारित करती है उस लागत का भुगतान करेगी। अर्थात् विद्यालय की वास्तविक लागत, बाजार की ओसत लागत अथवा राज्य सरकार की अपने विद्यालयों में प्रति विद्यार्थी लागत तीनों में से जो भी कम हो का भुगतान किया जाएगा। परंतु विद्यालय अगर सरकार द्वारा मुफ्त या अनुदान पर दी गई भूमि का उपयोग कर रहा है तो इस राशि का भुगतान नही किया जाएगा।

प्रश्न: क्या बच्चों को विद्यालय में प्रवेश देते समय उनका या उनके माता पिता का साक्षात्कार लिया जा सकता है?

उत्तर: नही, बच्चों की वरीयता का निर्धारण करने या किसी भी अन्य उद्देश्य से प्रवेश के समय उनका या उनके माता पिता का साक्षात्कार नही लिया जा सकता।

प्रश्न: अनिवार्य शिक्षा का क्या अर्थ है?

उत्तर: अनिवार्य शिक्षा के अंतर्गत समुचित सरकार की यह जिम्मेदारी है कि छ: से चौदह वर्ष तक के बच्चे प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए न केवल विद्यालय में प्रवेश ले बल्कि उनकी नियमित उपस्थिति भी रहे तथा वे प्रारम्भिक शिक्षा भी पूरी करे।

प्रश्न: यदि मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा प्राप्त करते समय कोई बच्चा किसी कक्षा में अनुत्तीर्ण हो जाता है तो उसके साथ क्या व्यवहार किया जाएगा?

उत्तर: अनुत्तीर्ण होने पर भी छात्र को न तो विद्यालय से निष्कासित किया जा सकेगा और न ही उसे उसी कक्षा में रखा जा सकेगा जिस कक्षा में उसे अनुत्तीर्ण किया गया है।

प्रश्न: क्या मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा प्राप्त करने के दौरान छात्र को बोर्ड की कक्षा में बैठाया जा सकेगा?

उत्तर: नही, इस दौरान छात्र की बोर्ड की परीक्षा नही ली जा सकेगी।

प्रश्न: प्रारम्भिक शिक्षा पूरी होने के उपरांत छात्र को क्या कोई प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा?

उत्तर: हाँ, प्रारम्भिक शिक्षा पूरी होने के पश्चात बच्चों को इस बाबत प्रमाण पत्र भी जारी किया जाएगा।

प्रश्न: यदि किसी गाँव या कस्बे में बच्चों को मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने के लिए कोई भी विद्यालय नही है या फिर पर्याप्त मात्रा में विद्यालय नही है तो सम्बन्धित सरकार या स्थानीय निकाय को कितने समय में नये विद्यालय की व्यवस्था करनी होगी?

उत्तर: उपरोक्त स्थिति में सम्बन्धित सरकार या स्थानीय निकाय को अधिनियम लागू होने के तीन वर्ष के भीतर नये विद्यालय की स्थापना करनी होगी।

प्रश्न: क्या अधिनियम में छ: वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए शिक्षण के लिए कोई प्रावधान किया गया है?

उत्तर: तीन से लेकर छ: वर्ष तक की आयु के बच्चों को पूर्व विद्यालय स्तर का शिक्षण प्रदान करने के लिए समुचित सरकार की इच्छा पर विद्यालय प्रारम्भ करने का प्रावधान रखा गया है। अर्थात् छ: वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए अधिकार पूर्व शिक्षण की मांग नही की जा सकती।

प्रश्न: बच्चों को मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा दिए जाने के उद्देश्य से विद्यालयों का क्या वर्गीकरण किया गया है? और इनकी क्या जिम्मेदारी है?

उत्तर: मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा प्रदान किए जाने के उद्देश्य से विद्यालयों को निम्न चार भागों में विभाजित किया गया है –

क. सरकार अथवा स्थानीय निकाय द्वारा स्थापित व संचालित विद्यालय – ऐसे विद्यालयों में अध्ययनरत सभी छात्रों की शिक्षा का पूरा खर्च सम्बन्धित सरकार अथवा स्थानीय निकाय द्वारा वहन किया जाएगा।

ख. सरकार अथवा स्थानीय निकाय से पूर्णतया अथवा आंशिक रूप से अनुदानित विद्यालय – ऐसे विद्यालयों में अध्ययनरत छात्रों का उतना प्रतिशत हिस्सा विद्यालय में मुफ्त शिक्षा प्राप्त करेगा जितना प्रतिशत विद्यालय अपने वार्षिक खर्चों में सरकार या स्थानीय निकायों से अनुदान प्राप्त करता है। लेकिन ऐसे विद्यालयों में मुफ्त शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों की कुल संख्या कम से कम उस विद्यालय के कुल छात्रों की 25% होगी।

ग. केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय या सैनिक विद्यालय जैसे विशिष्ट श्रेणी के विद्यालय।

घ. गैर अनुदानित विद्यालय।

उपरोक्त ग व घ प्रकार के विद्यालयों द्वारा पहली कक्षा में उस कक्षा के कुल छात्रों का 25% हिस्सा अपने नजदीक के पिछड़े व कमजोर वर्ग के छात्रों द्वारा भरा जाएगा। तथा ऐसे छात्रों को विद्यालय उनकी प्रारम्भिक शिक्षा पूरी होने तक मुफ्त शिक्षा प्रदान करेगा।

प्रश्न: मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा दिए जाने के समय विद्यालय के छात्रों व अध्यापकों का अनुपात क्या रखा जाएगा?

उत्तर: किसी भी स्थिति में पहली से पाँचवी कक्षा के लिए प्रति 40 छात्रों के अध्यापन के लिए एक शिक्षक अनिवार्य रूप से रखा जाएगा। अर्थात् अगर विद्यालय में 45 छात्र हैं तो दो शिक्षकों की नियुक्ति अनिवार्य है।

प्रश्न: विद्यालयों की कार्यवाही व संचालन पर स्थानीय निकायों द्वारा निगरानी रखने के लिए क्या व्यवस्था की गई है?

उत्तर: विद्यालय के कार्यकलापों पर निगरानी रखने के लिए गैर अनुदानित विद्यालयों को छोड़कर सभी विद्यालयों पर एक प्रबन्ध समिति बनाई जाएगी। इस समिति का निर्माण स्थानीय निकाय के द्वारा निर्वाचित विद्यालय के अध्यापक, विद्यालयों में अध्ययनरत छात्रों के माता पिता व अभिभावक से मिल कर होगा तथा समिति के तीन चौथाई सदस्य केवल छात्रों के अभिभावक व माता पिता ही होंगे।