उत्तर: प्रत्येक व्यक्ति जो मूल्य के बदले में वस्तु या सेवाओं का क्रय करता है उपभोक्ता कहलाता है। क्रय के समय तुरंत मूल्य का भुगतान आवश्यक नही है। मूल्य के भुगतान का वचन दिया जाना भी उपभोक्ता होने के लिए पर्याप्त है। उल्लेखनीय है कि यदि वस्तुओं व सेवाओं का क्रय किसी व्यावसायिक उद्देश्य अथवा पुनर्विक्रय के लिए किया जाता है तो क्रेता को उपभोक्ता नही माना जाएगा लेकिन यदि ऐसी वस्तुएँ या सेवाएँ पूर्णत: अपनी आजीविका कमाने के लिए स्वरोजगार में प्रयुक्त करने हेतु क्रय की जाती है तो ऐसे क्र्रेता को उपभोक्ता की श्रेणी में ही रखा जाएगा।
प्रश्न: उपभोक्ता विवाद किसके द्वारा दायर किया जा सकता है?
उत्तर: निम्न में से किसी के भी द्वारा उपभोक्ता विवाद दायर किया जा सकता है – 1. स्वयं उपभोक्ता के द्वारा, 2. स्वैच्छिक उपभोक्ता एसोशिएसन जो रजिस्टर्ड हो, 3. केन्द्र सरकार, 4. कई उपभोक्ताओँ के सामान्य उद्देशोँ का प्रतिनिधित्व करने वाले एक या अधिक उपभोक्ता, 5. राज्य सरकार द्वारा।
प्रश्न: किन परिस्थितियों में उपभोक्ता विवाद दायर किया जा सकता है?
उत्तर: निम्न परिस्थितियोँ में उपभोक्ता विवाद दायर किया जा सकता है – 1. उपभोक्ता द्वारा खरीदा गया सामान दोष युक्त हो, 2. उपभोक्ता द्वारा ली गई सेवाओं में कोई कमी पाई गई हो, 3. यदि उपभोक्ता द्वारा चुकाई गई कीमत वस्तु पर अंकित कीमत अथवा किसी कानून द्वारा नियत की गई राशि से अधिक हो, 4. किन्हीं कानूनी प्रावधानों के विपरीत सामान्य जनता को ऐसी वस्तु बिक्री के लिए पेश की जा रही हो जिसका उपयोग जीवन व सुरक्षा के लिए घातक सिद्ध हो सकता हो।
प्रश्न: क्या उपभोक्ता विवाद विक्रेता को बिना कोई सूचना दिए दायर कर सकते हैं?
उत्तर: उपभोक्ता को सर्वप्रथम वस्तुओं / सेवाओं के विक्रेता के पास लिखित रूप से अपनी शिकायत दर्ज करानी चाहिए। यदि वहाँ से शिकायत का निवारण नही होता है तो उपभोक्ता को यह देखना चाहिए कि जिस संस्था या कम्पनी से उसने वस्तु या सेवा क्रय की है उसका अपना कोई शिकायत निवारण तरीका हो तो उसे अपनाना चाहिए। यदि यहाँ से भी उपभोक्ता असंतुष्ट रहता है तो उपभोक्ता मंच में उपभोक्ता विवाद दायर करना चाहिए।
प्रश्न: क्या उपभोक्ता विवाद दायर करने के लिए किसी एडवोकेट की सेवाएं लेना आवश्यक है? उत्तर: शिकायतकर्ता अपनी शिकायत स्वयं अथवा अपने द्वारा प्राधिकृत व्यक्ति के माध्यम से उपभोक्ता मंच में जाकर अथवा डाक से अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है। इस कार्य के लिए किसी एडवोकेट की सेवाएं लेना आवश्यक नही है। परंतु शिकायत के निवारण के दौरान विपरीत पक्ष अपने एडवोकेट के माध्यम से कानूनी बारीकियोँ का अपने पक्ष में लाभ ले सकता है। अत: शिकायत दर्ज कराने से पहले एक बार किसी अनुभवी एडवोकेट से राय अवश्य ली जानी चाहिए।
प्रश्न: उपभोक्ता मंच में शिकायत दर्ज करवाने के समय कौन कौनसी सूचनाएं / दस्तावेज शिकायत के साथ दी जानी चाहिए?
उत्तर: उपभोक्ता मंच में शिकायत दर्ज करवाते समय निम्न सूचनाएं / दस्तावेज आवश्यक रूप से दर्ज करवानी चाहिए – 1. शिकायतकर्त्ता का पूरा नाम एवं पता, 2. जिसके विरुद्ध शिकायत की गई है उसका पूरा नाम एवं पता, 3. वस्तुओं / सेवाओं को क्रय करने की तिथि, 4. वस्तुओं / सेवाओं के लिए दिया गया कुल मूल्य, 5. खरीदी गई वस्तु अथवा सेवा का पूर्ण विवरण, 6. वस्तु / सेवा खरीदने के समय जारी किए गए बिल व रसीदें तथा विक्रेता से किया गया पत्राचार, 7. अपनी शिकायत का पूरा विवरण, 8. चाही गई राहत।
प्रश्न: क्या शिकायत दर्ज कराने के लिए कोई शुल्क भी निर्धारित किया गया है?
उत्तर: खरीदे गये सामान या सेवाओं के कुल मूल्य तथा माँगी गई क्षति पूर्ति के आधार पर उपभोक्ता शिकायत पर निम्न प्रकार से शुल्क देय होता है –
प्रश्न: उपभोक्ता शिकायत दर्ज कराने के लिए क्या समय सीमा निर्धारित की गई है?
उत्तर: शिकायत का कारण उत्पन्न होने के समय से दो वर्ष के भीतर उपभोक्ता को शिकायत दर्ज करा देनी आवश्यक होती है।
प्रश्न: उपभोक्ता विवाद का निस्तारण कितने समय में हो जाता है?
उत्तर: उपभोक्ता विवाद के निस्तारण में लगने वाला समय सम्बन्धित उपभोक्ता मंच में कार्यभार पर निर्भर करता है। यदि उपभोक्ता मंच के पास लम्बित मामलों की संख्या सामान्य है तो निस्तारण में लगने वाला समय तीन माह से दो वर्ष तक का हो सकता है।
प्रश्न: जिला उपभोक्ता मंच में कौन लोग मामले की सुनवाई करते हैं?
उत्तर: जिला उपभोक्ता मंच में निम्न लोग होते हैं जो मामले की सुनवाई करते हैं – 1. मंच का अध्यक्ष जो कि ऐसा व्यक्ति होगा जो वर्तमान में जिला न्यायाधिपति है, था, रह चुका है अथवा बनने के लिए योग्य है, 2. दो अन्य सदस्य जिनमें से एक आवश्यक रूप से महिला होगी और जो निम्न योग्यताएं रखते हों – क. 35 वर्ष की आयु के हों, ख. मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक हों, ग. जिन्हें अर्थशास्त्र, विधि, वाणिज्य, लेखांकन, सार्वजनिक विषयों, उद्योग में से किसी क्षेत्र से जुड़ी समस्याओं से निपटने का दस वर्षों का अनुभव हो।
प्रश्न: उपभोक्ता मंच के कार्य दिवस व कार्य घण्टे क्या होते हैं?
उत्तर: उपभोक्ता मंच के कार्य दिवस या कार्य घण्टे वहीं होते हैं जो केन्द्र सरकार के कार्यालयों के होते हैं।
प्रश्न: क्रय की गई वस्तु में ऐसी त्रुटि जिसका दोषारोपण उपभोक्ता शिकायत में किया गया है तथा जिसे बिना वैज्ञानिक जाँच के ज्ञात नही किया जा सकता का निर्धारण किस प्रकार किया जाएगा?
उत्तर: उपभोक्ता मंच ऐसी वस्तु के नमूने उपभोक्ता से प्राप्त कर उसे सील बन्द करके अंवेषण हेतु प्रयोग शाला में भेज देगा। मंच द्वारा प्रयोगशाला को वस्तु के ऐसे दोष का पता लगाने का निर्देश दिया जाता है जिसकी उपभोक्ता ने शिकायत दर्ज की है। प्रयोगशाला इस कार्य के लिए आवश्यक जाँच कर अपनी जाँच रिपोर्ट उपभोक्ता मंच में पेश कर देती है।
प्रश्न: प्रयोगशाला में वस्तु की जाँच में आए खर्च का भुगतान किस के द्वारा किया जाता है?
उत्तर: उपभोक्ता मंच द्वारा शिकायतकर्ता को प्रयोगशाला से सम्बन्धित खर्चों के भुगतान करने के निर्देश दिए जा सकते हैं।
प्रश्न: क्या प्रयोगशाला द्वारा प्रस्तुत की गई जाँच रिपॉर्ट पर ऑब्जेक्शन दाखिल किए जा सकते हैं?
उत्तर: हाँ, उपभोक्ता अथवा विक्रेता में से जो प्रयोगशाला की जाँच रिपोर्ट से असंतुष्ट होता है वो इस सम्बन्ध में अपनी आपत्ति उपभोक्ता मंच के समक्ष दाखिल कर सकते हैं।
प्रश्न: उपभोक्ता मंच द्वारा किस प्रकार की राहत प्रदान की जाती है?
उत्तर: उपभोक्ता मंच द्वारा शिकायत के सही पाए जाने पर विक्रेता को निम्न में से किसी भी प्रकार का निर्देश देकर उपभोक्ता को राहत प्रदान की जा सकती है – 1. वस्तु में विद्यमान त्रुटि को दूर करने का, 2. वस्तु को बदलने का, 3. शिकायत कर्ता को वस्तु का मूल्य लौटाने का, 4. शिकायतकर्ता को हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति करने का, 5. सेवाओं में हुई कमी को दूर करने का, 6. अनुचित व्यावसायिक रीतियोँ को त्यागने का, 7. घातक वस्तुएं बिक्री न करने का, 8. शिकायतकर्ता द्वार शिकायत में खर्च किया गया धन चुकाने का।
प्रश्न: उपभोक्ता मंच के निर्णय के विरुद्ध अपील के क्या प्रावधान हैं?
उत्तर: जिला मंच के निर्णय के खिलाफ राज्य आयोग में निर्णय प्राप्त होने के 30 दिन के भीतर। राज्य आयोग के निर्णय के खिलाफ राष्ट्रीय आयोग में निर्णय प्राप्त होने के 30 दिन के भीतर। राष्ट्रीय आयोग के निर्णय के खिलाफ़ सर्वोच्च न्यायालय में निर्णय प्राप्त होने के 30 दिन के भीतर।
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